दूर हटाओ चेहरा मेरी आँखों से अपना
पहले अपनापन दिखाती हो फिर रुलाती हो
क्या कर लिया मेरे मन की बातें जानकर
कौनसा हल निकाल दिया बातें सुनकर
सब राज दिल में दबाये ख़ुशी थी
एक तरफा ही सही उम्मीद थी
आज एक उम्मीद छिन ली
जीने की खुशी छिन ली
तन्हा अकेला था पहले ही
अब कौनसी तूने महफ़िल सजा दी
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