रविवार, 24 फ़रवरी 2019

संभल जा अब भी हुई देर नहीं


हर एक जरे के बाद महसूस होती है अकेलेपन की
हर उस वक्त में खलती है,  कमी अपनेपन की
एक रोज तेरी यादें संजोया करते
अब हर रोज तेरी यादें भुलाया करेंगे
मुश्किल तो होगा बीना रहना तेरे
अब से इस दिल को बहलाया करेंगे
जीना दुश्वार तो होगा बीना तेरी यादों के
अब इसे संभलना होगा बीना किसी बहानो के
इतना भी नहीं अदृश्य चेहरा तेरा
समझ ना सके जो यह मन मेरा
संभल जा अब भी हुई देर नहीं
रोयेगा उस दिन ठोकर खाकर कही

तेरे पैरों की आहट


सुन कर तेरे पैरों की आहट चेहरे पर रंगत आ जाती है
कुछ देर बाद जब तुँ ना दिखे तो फिर से मायूसी छा जाती है
क्यों यह उदासियाँ चेहरे से जाती नहीं
क्यों अब बगैर तेरे रहा जाता नहीं
जब जब रहना चाहता हूँ बगैर तेरे
तब तब होश उड़ जाते हैं मेर

जाने कहाँ छुपी है तूंँ



जाने कहाँ छुपी है तूँ
तेरी हर एक याद साँसो में बसाये रखी है
तेरी सुरत अब तक दिल में छुपाये रखी है
जाने कहाँ छुपी है तूँ

जाने कहाँ छुपी है तूँ
तुम्हें पाने की हर वक्त ललक रहती है
अब तो हर किसी में तूँ ही दिखती है
जाने कहाँ छुपी है तूँ

जाने कहाँ छुपी है तूँ
मेरी चाहत को यूँ नजर अंदाज ना करना
एक बार आकर मुझे अपनी बाँहों में भर लेना
जाने कहाँ छुपी है तूँ

जाने कहाँ छुपी है तूँ
मेरी महोबत को तूँ ठुकरा ना देना
साथ बिताये लम्हे भुला ना देना
जाने कहाँ छुपी है तूंँ

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019




बदला ले कौन किस से ? अपने ही अपनों पर घात लगाए बैठे हैं
पहचाने दुश्मन को कोई कैसे?  अपने ही अपने घरों में छुपाये बैठे हैं
मारे दुश्मन को तो कैसे  ? अपने ही देश के गद्दार इन्हें बचाने बैठे हैं
कोई कैसे रोके इन घटनाओं को ? अपने ही कुछ न मिटने वाली गलतियाँ कर बैठे हैं

भारत माता के वीर शहीदों को सत सत नमन 

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019



हमसे इश्क की गहराई ना पूछो सनम
मापलो सागर की गहराई तो जानो
उसमें डूब जाओ तो समझो

गुरुवार, 3 जनवरी 2019


तुँ कैड़ी छः उळझण, सब फिर-घिर थामें धंसे छः
थारो नाम रख दुँ नागण, तुँ जवानी सब ने डंसे छः