गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019




बदला ले कौन किस से ? अपने ही अपनों पर घात लगाए बैठे हैं
पहचाने दुश्मन को कोई कैसे?  अपने ही अपने घरों में छुपाये बैठे हैं
मारे दुश्मन को तो कैसे  ? अपने ही देश के गद्दार इन्हें बचाने बैठे हैं
कोई कैसे रोके इन घटनाओं को ? अपने ही कुछ न मिटने वाली गलतियाँ कर बैठे हैं

भारत माता के वीर शहीदों को सत सत नमन 

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019



हमसे इश्क की गहराई ना पूछो सनम
मापलो सागर की गहराई तो जानो
उसमें डूब जाओ तो समझो

गुरुवार, 3 जनवरी 2019


तुँ कैड़ी छः उळझण, सब फिर-घिर थामें धंसे छः
थारो नाम रख दुँ नागण, तुँ जवानी सब ने डंसे छः


बुधवार, 14 नवंबर 2018

निगाहें बहुत है

खाली हूँ पर काम बहुत हैं,
करता कुछ नहीं क्योंकि बहाने बहुत हैं।

मंजिल है एक मगर इच्छाएँ बहुत हैं,
राह तय करनी है तुम तक मगर दूरी बहुत है।

पहल करनी है पर झिझक बहुत है,
बात करनी है मगर शर्माते बहुत है।

भूल जाऊँ तो कैसे ? यादास्त बहुत है,
इजहार करूँ तो कैसे ? निगाहें बहुत है। 

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

जाने कहाँ छुपी है तूँ



जाने कहाँ छुपी है तूँ
मैं तुम्हें ढूँढता हूँ हर गली
जाने तूँ मुझे अब तक क्यों ना मिली
तेरी हर एक याद साँसों में बसाये रखी है
तेरी सुरत को अब तक दिल में छुपाये रखी है
तुम्हें पाने की हर पल ललक रहती है
अब तो हर किसी में तूँ ही दिखती है
मेरी महोबत को तूँ ठुकरा ना देना
साथ बिताये लम्हे भुला ना देना
मेरी चाहत को यूँ नजर अन्दाज ना करना
एक बार आकर मुझे अपनी बाहो में भर लेना
मेरी महोबत को तूँ ठुकरा ना देना
साथ बिताये लम्हे भुला ना देना
जाने कहाँ छुपी है तूँ

क्यों झीक - झीक करता हूँ


क्यों झीक - झीक करता हूँ
जबकि कोई बात मेरी सुनता ही नहीं
क्यों मैं किसी को रोकता - टोकता हूँ
जबकि कोई बात मेरी मानता ही नहीं
बन्द कर अब यह झीक - झीक करना
बन्द कर अब किसी को रोकना - टोकना
हर कोई अपने आप में मस्त है
तूँ क्यों इनके लिए परस्त है
अब तुझे कोई अपना मानता नहीं
इसी लिए कोई तेरी मानता नहीं
बन्द कर अब इनके लिए रोना - धोना
इनके लिए अपनी जिन्दगी बना ली सुना कोना
अब तूँ अकेला ही बना अपनी जिन्दगी मजेदार हमेशा
छोड़ इन सब को ना कर किसी पर भरोसा

गुलाबों के इशारे


तूँ समझ ले मेरे गुलाबों के इशारे
मेरी जिन्दगी अब तेरे ही सहारे
भले ही तूँ दूर मुझ से चली गई हैं
तूँ आज भी मेरे उतनी ही करीब है
जितनी धड़कन दिल के करीब है