मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

जाने कहाँ छुपी है तूँ



जाने कहाँ छुपी है तूँ
मैं तुम्हें ढूँढता हूँ हर गली
जाने तूँ मुझे अब तक क्यों ना मिली
तेरी हर एक याद साँसों में बसाये रखी है
तेरी सुरत को अब तक दिल में छुपाये रखी है
तुम्हें पाने की हर पल ललक रहती है
अब तो हर किसी में तूँ ही दिखती है
मेरी महोबत को तूँ ठुकरा ना देना
साथ बिताये लम्हे भुला ना देना
मेरी चाहत को यूँ नजर अन्दाज ना करना
एक बार आकर मुझे अपनी बाहो में भर लेना
मेरी महोबत को तूँ ठुकरा ना देना
साथ बिताये लम्हे भुला ना देना
जाने कहाँ छुपी है तूँ

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