क्यों झीक - झीक करता हूँ
जबकि कोई बात मेरी सुनता ही नहीं
क्यों मैं किसी को रोकता - टोकता हूँ
जबकि कोई बात मेरी मानता ही नहीं
जबकि कोई बात मेरी सुनता ही नहीं
क्यों मैं किसी को रोकता - टोकता हूँ
जबकि कोई बात मेरी मानता ही नहीं
बन्द कर अब यह झीक - झीक करना
बन्द कर अब किसी को रोकना - टोकना
बन्द कर अब किसी को रोकना - टोकना
हर कोई अपने आप में मस्त है
तूँ क्यों इनके लिए परस्त है
तूँ क्यों इनके लिए परस्त है
अब तुझे कोई अपना मानता नहीं
इसी लिए कोई तेरी मानता नहीं
इसी लिए कोई तेरी मानता नहीं
बन्द कर अब इनके लिए रोना - धोना
इनके लिए अपनी जिन्दगी बना ली सुना कोना
इनके लिए अपनी जिन्दगी बना ली सुना कोना
अब तूँ अकेला ही बना अपनी जिन्दगी मजेदार हमेशा
छोड़ इन सब को ना कर किसी पर भरोसा
छोड़ इन सब को ना कर किसी पर भरोसा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें