"कविता आज मेरी, मगर कल जुबां पर तेरी होगी
मैं लिखूँ कुछ भी मगर, उसमें यादें तुम्हारी होगी,
वो लिखी मेरी कविता कभी तो पढ़ती होगी
वो पढ़ कर मेरी कविता कुछ तो सोचती होगी,
वो छुप - छुप के मेरी प्रोफाईल कभी तो देखती होगी
मेरे अपलोड किये स्टेटस वो कभी तो बढ़ती होगी,
वो जब भी तनहां अकेली होती होगी कभी तो मुझे याद करती होगी
अकेली बैठी वो कभी तो साथ बिताये लम्हे याद करती होगी,
वो बातों बातों मे ही सही कभी तो मेरा नाम लेती होगी
राह चलता देख मुझे वो कभी तो बात करना चाहती होगी
कविता आज मेरी, मगर कल जुबां पर तेरी होगी
मैं लिखूँ कुछ भी मगर, उसमें यादें तुम्हारी होगी,"
✍ - कन्हैया लाल बड़गुजर
Bhaii mast yarr ..ture lovely
जवाब देंहटाएंThanks Bhai
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